मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

सुभाषित्

सुभाषित्
अश्वां नैव गजं नैव, ब्याघ्रा नैव च नैव च।
अजाः पुत्रं बलि दधात्, दैवो दुर्बल घातकः।।

अर्थः- घोड़े की नहीं , हाथी की नहीं, सिंह की तो कभी नहीं । बली हमेशा बकरी के बच्चे की ही दी जाती है।  अर्थात् देवता भी दुर्बल की सहायता नहीं करते ।

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