शनिवार, 5 अक्तूबर 2013

क्‍या आप अपना पासवर्ड भूल गये ???

क्‍या आप अपना पासवर्ड भूल गये ???

तो आपके लि‍ये एक जुगाड; लेकर आये हैं 
जो कि इस प्रकार है 
यदि आप फायरफोक्‍स बेब ब्राउूजर का प्रयोग करते हैं तो आपके लि‍ये यह एक अच्‍छी खुशखबरी है 

जब भी आप कि‍सी साईट पर लॉगइन करते हैं तो रि‍मेम्‍बर पासवर्ड का वि‍कल्‍प दि‍या जाता है 
और इस वि‍कल्‍प पर ओके कर दि‍या है तो यह पासवर्ड तथा यूजर आईडी और यू आर एल को ब्राउूजर द्वारा सुरखि‍त कर लि‍या जाता है 
पर यह दि‍खई नहीं देता है 
अब आप इस तरह से सुरक्षि‍त डाटा की जानकारी देख सकते हैं 
इसके लि‍ये चि‍त्रानुसार कार्य करें आपका कार्य सि्ध्‍द हो जायेगा  



प्रथम चरण----- 
 

द्वि‍तीय चरण--------------- 


 
त़तीय चरण---------------




चतुर्थ  चरण---------------
 

इस तरह से आपने देखा सारा डाटा जो कि सुरक्षि‍त था उसको देख पा रहे हैं और उपयोग भी कर सकते हैं 

पर ब्राउूजर में यदि मास्‍टर पासवर्ड का प्रयोग कि‍या गया है तो उसके बि‍ना यह कार्य संभव नहीं है  

मेरा यह छोटा सा प्रयास आपको कैसा लगा अवस्‍य कमेंट करें

गुरुवार, 29 अगस्त 2013

कुरान के बारे मैं एैतिहासिक फैसला


इस पोस्ट का उद्देश्य किसी भी धर्म या संप्रदाय को ठेस पहुचाना बिल्कुल भी नहीं है।
इस पोस्ट का एकमा़त्र उद्देश्य आप सभी लोगों तक यह जानकारी देना है जो मुझे इस पुस्तक से मिली है।
प्रस्तुत है इस पुस्तक का चित्र रूप् आप सब के लिये।



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सोमवार, 29 जुलाई 2013

पारिजात वृक्ष

पारिजात वृक्ष को लेकर गहन अध्ययन कर चुके रूड़की के कुंवर हरि सिंह यादव ने बताया कि यंू तो परिजात वृक्ष की प्रजाति भारत में नहीं पाई जाती, लेकिन भारत में एक मात्र पारिजात वृक्ष आज भी उ.प्र. के बाराबंकी जनपद अंतर्गत रामनगर क्ष्ोत्र के गांव बोरोलिया में मौजूद है। लगभग 50 फीट तने व 45 फीट उंचाई के इस वृक्ष की ज्यादातर शाखाएं भूमि की ओर मुड़ जाती है और धरती को छुते ही सूख जाती है।
एक साल में सिर्फ एक बार जून माह में सफेद व पीले रंग के फूलो से सुसज्जित होने वाला यह वृक्ष न सिर्फ खुशबू बिखेरता है, बल्कि देखने में भी सुन्दर लगता है। आयु की दृष्टि से एक हजार से पांच हजार वर्ष तक जीवित रहने वाले इस वृक्ष को वनस्पति शास्त्री एडोसोनिया वर्ग का मानते हैं। जिसकी दुनियाभर में सिर्फ 5 प्रजातियां पाई जाती है। जिनमें से एक डिजाहाट है। पारिजात वृक्ष इसी डिजाहाट प्रजाति का है। कुंवर हरि सिंह यादव अपने षोध आधार पर बताते है कि एक मान्यता के अनुसार परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुन्द्र मंथन से हुई थी । जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में रोप दिया था। कहा जाता है जब पांडव पुत्र माता कुन्ती के साथ अज्ञातवास पर थे तब उन्होने ही सत्यभामा की वाटिका में से परिजात को लेकर बोरोलिया गांव में रोपित कर दिया होगा। तभी से परिजात गांव बोरोलिया की शोभा बना हुआ है। देशभर से श्रद्धालु अपनी थकान मिटाने के लिए और मनौती मांगने के लिए परिजात वृक्ष की पूजा अर्चना करते है। पारिजात में औषधीय गुणों का भी भण्डार है। पारिजात बावासीर रोग निदान के लिए रामबाण औषधी है। पारिजात के एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बावासीर रोग ठीक हो जाता है। पारिजात के बीज का पेस्ट बनाकर गुदा पर लगाने से बावासीर के रोगी   को बडी राहत मिलती है। पारिजात के फूल हदय के लिए भी उत्तम औषधी माने जाते हैं। वर्ष में एक माह पारिजात पर फूल आने पर यदि इन फूलों का या फिर फूलो के रस का सेवन किया जाए तो हदय रोग से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर सेवन करने से सुखी खासी ठीक हो जाती है। इसी तरह पारिजात की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधि रोग ठीक हो जाते है। पारिजात की पत्तियों से बने हर्बल तेल का भी त्वचा रोगों में भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। पारिजात की कोंपल को अगर 5 काली मिर्च के साथ महिलाएं सेवन करे तो महिलाओं को स्त्री रोग में लाभ मिलता है। वहीं पारिजात के बीज जंहा हेयर टानिक का काम करते है तो इसकी पत्तियों का जूस क्रोनिक बुखार को ठीक कर देता है। इस दृश्टि से पारिजात अपनेआपमें एक संपूर्ण औषधी भी है।
इस वृक्ष के ऐतिहासिक महत्व व दुर्लभता को देखते हुए जंहा परिजात वृक्ष को सरकार ने संरक्षित वृक्ष घोषित किया हुआ है। वहीं देहरादून के राष्ट्रीय वन अनुसंधान संस्थान की पहल पर पारिजात वृक्ष के आस पास छायादार वृक्षों को हटवाकर पारिजात वृक्ष की सुरक्षा की गई। वन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. एसएस नेगी का कहना है कि पारिजात वृक्ष से चंूकि जन आस्था जुडी है। इस कारण इस वृक्ष को संरक्षण दिये जाने की निरंतर आवश्यकता है। इस वृक्ष की एक विषेशता यह भी है कि इस वृक्ष की कलम नहीं लगती ,इसी कारण यह वृक्ष दुर्लभ वृक्ष की श्रेणी में आता है। भारत सरकार ने पारिजात वृक्ष पर डाक टिकट भी जारी किया। ताकि अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर पारिजात वृक्ष की पहचान बन सके।

यह सारी जानकारी संजाल से ली गई है





source  -------http://kaalamita.com/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A4-%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%9B%E0%A5%82

मंगलवार, 16 जुलाई 2013

विन्डोज के कुछ साॅर्टकट






विन्डोज केकुछ साॅर्टकट
         
क्रं.
साॅर्टकट कुंजी
कार्य
1.                  
Supar/Windowse Logo key + D
डेस्क्टाॅप पर जाने के लिये।
2.                  
Supar/Windowse Logo key + Tab
सभी खुली हुई विन्डो को देखने तथा उनमें से किसी एक पर जाने के लिये।
3.
Supar/Windowse Logo key
स्टार्ट मीनू पर जाने के लिये।
4.
Supar/Windowse Logo key+E
विन्डोज एक्सप्लोरर या माय कम्प्यूटर खेालने के लिये।
5.
Esc/Escape
किसी दिये गये निर्देश को निरस्त करने के लिये।
6.
Tab
सक्रिय विन्डो के विकल्पों पर फोकस बदलने के लिये।
7.
Alt +Tab
सभी खुली हुई विन्डो में से किसी एक पर जाने के लिये ।
8.
Alt
हाॅट की अक्षरों को देखने के लिये।
9.
Alt + <Hot key latter>
हाॅट की को सक्रिय करने के लियैं
10.
Alt+F4
सक्रिय विन्डो(टास्क) को बंद करने के लिये।
11.
Ctrl
माऊस प्वांटर की fस्थ्ति जानने हेतु।
12.
Ctrl+Tab
सक्रिय विन्डो के विकल्पों के चयन हेतु।
13.
Ctrl+C
चयनित सामग्री की प्रति(काॅपी) करने हेतु।
14.
Ctrl+X
चयनित सामग्री को कट करने हेतु।
15.
Ctrl+V
काॅपी/कट किये गये मैटर(सामग्री) को पेस्ट(चिपकाने)हेतु।
16.
Ctrl+ Insert /Ins key
काॅपी/कट किये गये मैटर(सामग्री) को पेस्ट(चिपकाने)हेतु।
17.
F1
सक्रिय विन्डो से संबधित सहायतार्थ।
18.
F2
चयनित आईटम को रीनेम करने हेतु।
19.
F3
सर्च करने हेतु विन्डो एक्सप्लोरर में।
20.
F4
एड्रेसबार में जाने हेतु।बेव ब्राऊजर/ विन्डो एक्सप्लोरर में।
21.
F5
रीफ्रेस/पुनर्भरण (बेव ब्राऊजर/ विन्डो एक्सप्लोरर में।)
22.
F5
फाईंड और रीप्लेस (एम.एस.वर्ड/एक्सेल में)
23.
F6
एड्रेसबार तथा पेज के विकल्पोेंपर स्विfचंग के लिये।(बेव ब्राऊजर/ विन्डो एक्सप्लोरर में।)
24.
F6
हाॅट की कोे एक्टिव करने के लिये।(एम.एस.वर्ड/एक्सेल में)
25.
F6
डेस्कटाॅप तथा टास्कवार के विकल्पों के स्विfचंग के लिये।
26.
F7
बेवपेज में कर्सर को मूव कराने के लिये।(इंटरनेट एक्सप्लोरर में)
27.
F7
स्पेfलंग व ग्रामर चेfकंग के लिये।(एम.एस.वर्ड/एक्सेल में)
28.
F8
मैटर को सलेक्ट करते समय कर्सर को लाॅक करने के लिये।(एम.एस.वर्ड/एक्सेल में)
29.
F9
मझला कोष्ठक लगाने के लिये।(एम.एस.वर्ड/एक्सेल में)
30.
F10
हाॅट की कोे एक्टिव करने के लिये।
31.
F11
विन्डो को फुल स्क्रीन करने के लिये।
32.
F12
सेव एस विकल्प(एम.एस.वर्ड/एक्सेल)
33.
F12
डेवलाॅपर टूल्स (बेव ब्राऊजर में)
34.
Ctrl+F
फाईंड/खेाज/सर्च करने हेतु।
35.
Ctrl+D
चयनित सामग्री को डिलेट करने हेतु।
36.
Shift+F10
काॅन्टेक्स्ट मेनू/राईट क्लिक।
37.
Ctrl+Shift+F
फाॅन्ट बदलने हेतु।(एम.एस.वर्ड/एक्सेल में)
38.
Ctrl+P
fप्रंट कमांड।
39.































मंगलवार, 4 जून 2013

मूर्तिपूजा

       
प्रश्न -    मूर्तियां क्या हैं।
उत्तरः-    मूर्ति, प्रतिमा, बुत या स्टेच्यु यह सब किसी तत्व या पदार्थ से निर्मित निर्जीव जड़ आकृतियां होतीं हैं।
अर्थात् चेतना से रहित, निर्जीव, जिनमें कोई क्रिया (हलचल) स्वतः नहीं होती है। बिना किसी बाह्य बल के लगाये।
 यह पदार्थ कुछ भी हो सकते हैं। जैसे- धातुयें, पत्थर, काष्ठ, मृतिका आदि।
प्रश्न -    पूजा,पूजन क्या है।
उत्तरः-    पूजा, अर्चना, आराधना, साधना यह सब उस परमात्मा (ईष्वर) की अनुभूति प्राप्त करने की क्रियायें या साधन हैं। सम्पूर्ण जगत् में अनेक धर्म, संप्रदायों, मत्, पंथो के कारण अलग-अलग पूजा पद्धतियां प्रचलन में हैं।
प्रष्न -    क्या मूर्तियों में शक्ति होती है।
उत्तरः-    जी नहीं, मूर्तियां शक्तिहीन होतीं हैं। क्योंकि वे जड़ पदार्थों से निर्मित चेतना शून्य होती है।
प्रष्न -     फिर लोग एैसी मूर्तियों की पूजा क्यों करते हैं। जो स्वयं की रक्षा नहीं कर सकतीं हैं फिर ये तुम्हारी रक्षा कैसे कर सकती हैं।
उत्तरः-    वास्तव में लोग मूर्तिपूजा नहीं करते हैं मूर्तियां तो केवल पूजा पद्धति में प्रयुक्त एक साधन (सामग्री) है। पूजा तो केवल उस परमात्मा (ईष्वर) की ही होती है। जो कि सर्वषक्तिमान इस ब्रम्हाण्ड की परम सत्ता है। वह निराकार है।
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    उदाहरणः-
            किसी मल्ल, या पहलवान से पूछो कि अखाड़े में जो मुगदर रखे हुये होते हैं।
क्या उनमें शक्ति होती है!
        उसका उत्तर होगा      -नहीं
    तो फिर शक्ति किसमें है उसका उत्तर होगा कि मूझमें ।
    जी शक्ति तो उस पहलवान में है। हममें है। पर इसको (शक्ति को) सिद्ध करने के लिये इन साधनों (मुग्दरों) की आवश्कता होती है। इनको घुमाते-घुमाते, साधना करते-करते उसे खुद पता नहीं चलता कब उसकी मांसपेशिया बलशाली हो गईं हैं। और वह शक्तिशाली हो गया है।
    इसी कारण से उन साधनों मुग्दरांे (साधनों) में उसकी आस्था होती है। उनका वह सम्मान करता है।
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    ठीक इसी प्रकार ईश्वर की साधना
पर यह आध्यात्मिक शक्ति की सिद्धि इतनी आसान तो नहीं है जितना कि सुनने में लगता है यह बड़ी ही कठिन साधना होती है। और इस साधना में मूर्ति रूपी साधन का उतना ही महत्व है जितना कि एक पहलवान के लिये उसका अखाड़ा व उसके शक्ति सिद्धि के साधन, इस कारण से मूर्तियों की उपेक्षा बिल्कुल भी नहीं की जा सकती है।


प्रश्न - ईश्वर तो केवल एक है फिर लोग(हिन्दू) अनेक देवी   
देवताओं को क्यों पूजते हैं। एक को क्यों नहीं।
उत्तरः- वास्तव में ईश्वर तो ऐक ही है सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड में वह सर्वशक्तिमान है। वह निराकार है। वह सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड में कंण-कंण में ब्याप्त है। परंतु आप तो जानते ही हैं कि अलग-अलग कार्यों को करने के लिये  अलग- अलग योग्यता, कौशल व वेश की आवशकता होती है। किसी भी संस्था को उसका ऑनर (मालिक) कितना भी शक्तिमान क्यों न हो अकेले तो नहीं चला सकता। उस संस्था को चलाने के लिये एक प्रणली (सिस्टम) होती है जिसके निश्चित कार्य के लिये निश्चित कार्यकर्ता होते हैं जो एक ही उद्देश्य की प्राप्ति के लिये निर्देशक के निर्देशन में कार्य करते हैं।
उदाहरण:- 
एक छोटे से स्कूल का ही ले सफाई का कार्य प्रचार्य तो नहीं करते न। शिक्षक का कार्य सफाई कर्मी तो नहीं करते न। 
जी हाँ जो जिस कार्य के लिये उपयुक्त है उसे वह कार्य सौंपा गया है और यदि एैसा नहीं होता तो अब्यवस्थायें फैलतीं हैं। और संस्था का प्रबंधन ठीक से नहीं हो पाता है।
ठीक इसी प्रकार से प्रत्येक कार्य के लिये अलग- अलग देवी देवता नियुक्त किये गये हैं। 

जैसे --न्याय के लिये धर्मराज,
लेखांकन के लिये चित्रगुप्त,
दण्डाधिकारी यमराज,
पत्रकार(संदेशवाहक) नारद,
खजांची कुबेर,
धन की देवी लक्ष्मी,
ज्ञान के लिये सरश्वती/गणेश,
जल के देव वरूण,
पालक विष्णु,
सृजनकर्ता ब्रम्हाजी,
कारीगर(इंजीनियर) विश्वकर्मा जी,
को कार्य सौंपे गये हैं।
                        इसी प्रकार समस्त 33 कोटि के देवी देवताओं को योग्यतानुरूप कार्य सौंपे गये हैं। नाम रूप भले ही अनेक हैं पर है तो इनमें परमात्मा का ही अंश और यह सारी टीम इस ब्रम्हाण्ड के लिये ही तो कार्य कर रही है। तभी तो इस ब्रम्हाण्ड का सफलता पूर्वक प्रबंधन व संचालन हो पा रहा है।
भला आप ही बताईये जो कार्य कारीगर को करना है उसके लिये आप प्रधान मंत्री से करने को कहेंगे क्या। नहीं ना ।
तो फिर जब हमारे पास पूरा का पूरा सिस्टम (प्रणली) है उसके कार्यों विभागधिकारियों के नाम व संपर्क है तो सारे कार्य फिर एक ही से क्यों करवायें ।
यही कारण है कि अलग- अलग आभीष्ट की प्राप्ति के लिये अलग- अलग देवी/देवताओं की पूजा, उपासना की जाती है।
अब आप समझ ही गये होंगे कि जो एक से ही सब काम लेते है वो खुद तो परेशान होते हैं और दूसरों को भी एैसी ही सलाह देकर भ्रमित कर आब्यवस्था ही फैलाते हैं।
हर कार्य योजनाबद्ध तरीके से प्रणाली(सिस्टम) के तहत हो तो उसकी सफलता पर कोई संदेह नहीं होता है।
और हमें गर्व है अपनी सनातन संस्कृति पर जिसमें इतनी बड़ी प्रणली(सिस्टम) ब्यवस्था आदि काल से है। पाश्चात्य जगत् वाले आज से ही सिस्टम की परिभाषा देने में सक्षम हूये हैं। हम सनातन धर्मी इसको जानते भी थे, और उपयोग भी करते थे, आज भी करते हैं।



आज के लिये इतना ही आगे इसी विषय पर लेख जारी रहेगा।
इस विषय पर
आपके अमूल्य विचार व आलोचनाओं का स्वागत है।
        यमराज सिंह परमार

गुरुवार, 23 मई 2013

हिन्दी



                                    

                                                          हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे ज़्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा है.कुछ लोग इसे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी भाषा मानते हैं.कई बार कुछ अपनों और कुछ परायों ने यह दावा किया के हिंदी को ख़तरा है, यह विकृत हो जायेगी, खत्म हो जायेगी..लेकिन वे यह नहीं जानते के जो भाषा लोगों के दिलों में  बसती  है, वह हमेशा अक्षय रहती है

                                           और यदि आप हिन्दी से सम्बन्धित लेख या तक्निकी जानकारी चाह्ते है तो देखे अक्षयअक्षय हिन्दी और आप भी हो जाइये हिन्दी मै परंगत 

बुधवार, 27 मार्च 2013

होली की हार्दि‍क शुभकामनायें


प्रि‍य बन्‍धुओ आप सभी को होली की हार्दि‍क शुभकामनायें 
आज के आनंद की तरह आप हमशा आनंदि‍त प्रसन्‍न बने रहें आपका जीवन हमेशा रंगीन बना रहे


गुलजार खिले हो परियों के, और मंजिल की तैयारी हो 
कपड़ों पर रंग के छींटों से खुशरंग अजब गुलकारी हो।



नेचर का हर रंग आप पर बरसे 

हर कोई आपसे होली खेलने को तरसे 

रंग दे आपको सब मिलकर इतना 

कि वह रंग उतरने को तरसे....

पेनड्राईव को बूटेबल कैसे बनायें


पेनड्राईव को बूटेबल कैसे बनायें

इसकी आवश्‍यकता क्‍यों ः-
                     इस वि‍षय पर पहले ही एक लेख लि‍ख चुका हूं पर यह वि‍धि‍ उनके लि‍ये वि‍ल्‍कुल सरल तथा आसान है जो कि‍ कमांड टाईप करने से बचना चाहते हैं यह पूर्णतया ग्राफि‍क परि‍वेश में है जि‍ससे यह काफी हद तक आसान है
 
इसके लि‍ये आवश्‍यक यु‍क्‍ति‍यां:-
1-               4 गीगीबाईट पेनड्राईव
2-               ‍वि‍न्‍डोज बूटेबल सीडी/डीवीडी  विन्‍डोस एक्‍स पी/ 7 /‍वि‍ष्‍टा /8 इनमें से कोई भी
3-               Power ISO नामक सॉफटवेयर जि‍से google पर खोज कर डाउूनलोड कर सकते हैं
4-               एक पीसी जिसमे विन्‍डोस एक्‍सपी या इससे नया संस्‍करण स्‍थापित हो
5-               पीसी में एक डीवीडी राईडर होना भी अनिवार्य है

अब यह कार्य निम्‍न चरणों में संम्‍पन्‍न करें

1-       Power ISO नामक सॉफटवेयर जि‍से google पर खोज कर डाउूनलोड किया है अपने पीसी पर स्‍थापित करके रन करते हैं

2-       अब tools menu -à make CD/DVD/BD image file का चयन करते हैं अब डेस्‍टिनेसन फाईल मे .iso redio button पर चटका लगाते हैं


3-       नीचे फाईल को सुरक्षित करने के लिये लोकेशन देते हैं तत्‍पश्‍चात्‍ ओके पर चटका लगाते हैं

वैसे इमेज फाईल नेरो के द्वारा भी बना सकते हैं

4-       बूटेबल विन्‍डोज सीडी/डीवीडी की इमेज फाईल बन जाने के बाद पेनड्राईव को पीसी में लगा कर प्रारूपित कर लेते हैं


5-       अब फिर से powerISO को दायां चटका लगाकर  रन एस एडमिनिस्‍ट्रेटर विकल्‍प का चयन करते हैं   

6-       अब tools menu -à Create Bootable USB  Drive का चयन करते हैं

7-       अब सोर्स फाईल के रूप में बनाई गई इमेज फाईल को खोज कर सलेक्‍ट करते हैं

8-       डैस्टिनेसन युएसवी ड्राईव में उस पेनड्राईव केलेटर को सलेक्‍ट करते हैं जिसे बूटेवल डिस्‍क बनाना है

9-       अब स्‍टार्ट पर चटका लगा देते हैं तथा कार्य सम्‍पन्‍न होने तक प्रतीक्षा करते है

लीजिये आपका पोर्टेबल औजार तैयार हो गया अब इसका उपयोग कर सकते हैं

है ना कि‍तना आसान केवल माउूस के द्वारा ही सारा कार्य सम्‍पन्‍न हो गया 

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