मंगलवार, 22 मई 2012

सावधान ! कोई और तो नहीं इस्तेमाल कर रहा आपका मोबाइल फोन


क्या आपको पता है, आपकी जानकारी व अनुमति के बगैर आपका मोबाइल फोन न केवल हैक कर उससे की गई बातचीत व एसएमएस की जानकारी ली जा सकती है बल्कि उससे फोन काल व एसएमएस भी किए जा सकते हैं। और तो और इसके लिए हैकर्स को आपके फोन को हाथ लगाने की भी जरूरत नही पड़ेगी। हैकर्स सात समुंदर पार बैठकर भी भारतीय मोबाइल फोन धारकों के फोन व नंबर को मनचाहे तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। अफसोस कि ऐसी स्थिति किसी नई तकनीकी के अविष्कार की वजह से नहीं बल्कि मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों की लापरवाही के कारण उत्पन्न हुई है। पणजी में साईबर विशेषज्ञों के एक दल ने सर्विस आपरेटरों के सुरक्षित सेवा प्रदान करने के दावों की पोल खोलकर रख दी है। इसके साथ ही विशेषज्ञों ने आतंकवाद की समस्या झेल रहे देश द्वारा पर्याप्त बंदोबस्तों के दावों को भी आईना दिखा दिया है।
साइबर विशेषज्ञों ने रक्षा और खुफिया अधिकारियों एवं नैतिक हैकरों से भरी सभा में मीडिया की उपस्थिति में एक छोटे से उपकरण की सहायता से कइयों के मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर सबको चौंका दिया। इस पूरे प्रजेंटेशन के दौरान उन्होंने न तो उपभोक्ता के मोबाइल फोन का प्रयोग किया और न ही सिम का। यहां तक कि मोबाइल धारक को भी यह पता नहीं चला कि उसका फोन इस्तेमाल में लाया जा रहा है। ऐसा मोबाइल नेटवर्क आपरेटर कंपनी की अत्यंत छोटी सी लगने वाली लापरवाही को उजागर करते हुए किया। मजे की बात तो यह है कि फोन के इस्तेमाल का प्रदर्शन विशेषज्ञों ने किसी खास नेटवर्क आपरेटर के उपभोक्ता के साथ नहीं बल्कि सभी कंपनियों के उपभोक्ताओं के साथ किया। विशेषज्ञों द्वारा किसी के भी मोबाइल फोन को हैक करने, उससे एसएमएस व काल करने तथा फोन के डिटेल आदि प्राप्त करने के इस प्रदर्शन ने न केवल वहां मौजूद लोगों को हतप्रभ कर दिया बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के माथे पर भी चिंता की लकीरें पैदा कर दीं।
पणजी में साइबर विशेषज्ञों के एक समूह ने एक सम्मेलन में लोगों को यह दिखाकर आश्चर्यचकित कर दिया कि जीएसएम मोबाइल नेटवर्क का गलत इस्तेमाल हो सकता है। उन्होंने दिखाया कि कितनी आसानी से हैकर उपभोक्ता की जानकारी के बगैर भी उसके मोबाइल नंबर का किसी भी तरह प्रयोग कर सकते हैं। मैट्रिक्स सेल ने एक प्रमुख मोबाइल सेवा प्रदाता के नेटवर्क पर हैकरों की तकनीक का जीवंत प्रदर्शन किया। इसमें उन्होंने एक श्रोता के नंबर का उपयोग कर फोन किया। इस पूरे प्रजेंटेशन में उन्होंने न तो श्रोता के मोबाइल का प्रयोग किया और न ही सिम का। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों, रक्षा और खुफिया अधिकारियों एवं नैतिक हैकरों के सम्मेलन नूलकॉन में जीएसएम सेवा प्रदाताओं की कमजोरियों का बखान करते हुए समूह ने दावा किया कि अधिकतर दूरसंचार नेटवर्क इनक्रिप्टेड सिग्नल नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह आम बात है। समूह के एक सदस्य आकिब ने कहा कि अन्य मुद्दा कॉल करते समय मोबाइल नेटवर्क द्वारा उपभोक्ता के सत्यापन का है।
बहरहाल भारतीय सेल्युलर ऑपरेटर्स संगठन के महानिदेशक राजन मैथ्यूज के मुताबिक यह असामान्य नहीं है। यह किसी भी ऑपरेटर के साथ हो सकता है। ऑपरेटरों के नेटवर्क को तीसरा पक्ष संभालता है। इस तीसरे पक्ष में वैश्विक खिलाड़ी (आइबीएम, एनएसएन) हैं। ऑपरेटरों के पास अपने नेटवर्क में किसी भी घुसपैठ का पता लगाने के तरीके और प्रोटोकॉल हैं। उन्होंने बताया कि जब भी ऐसी बातें होती हैं तो संज्ञान में इसे लाने के लिए कस्टमर भी फोन करते हैं। इसलिए ऐसी स्थितियों को संभालने के लिए ऑपरेटर भी सुसज्जित होते हैं। उन्होंने कहा कि हर मोबाइल में आइएमइआइ नंबर होता है और सिम का अपना आइएमएसआइ नंबर होता है। कस्टमर की पहचान छिपाने के लिए ऑपरेटर आइएमएसआइ को एक टेंपरेरी नंबर टीएमएसआइ देता है। अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक इस टीएमएसआइ को हर कॉल और एसएमएस पर बदला जाना चाहिए। हालांकि अधिकतर ऑपरेटर ऐसा नहीं करते। साइबर विशेषज्ञों ने ऑपरेटरों के नाम का खुलासा करने से इंकार कर दिया। विशेषज्ञों ने कहा कि अगर टीएमएसआइ को बदला नहीं जाता तो एक छोटे से उपकरण की मदद से कोई भी हैकर आसानी से मोबाइल नंबर को अपने कब्जे में ले सकता है। इसके अलावा जीएसएम ऑपरेटर इनक्रिप्शन तकनीक का इस्तेमाल भी सही तरीके से नहीं कर रहे हैं। यह भी जीएसएम नेटवर्क के लिए खतरा है। इस हैकिंग के दौरान उपभोक्ता को मालूम ही नहीं चलता कि उसका सिम कहीं और इस्तेमाल हो रहा है।  
साभार '- अविनाश चंद्र

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